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सामुद्रिक शास्त्र पुस्तक की संक्षिप्त व्याख्या

सामुद्रिक शास्त्र एक संस्कृत शब्द है जिसका अर्थ है "शरीर की विशेषताओं का ज्ञान"। यह शास्त्र ऋषि समुद्र द्वारा लिखा गया था। सामुद्रिक शास्त्र का उपयोग वैदिक ज्योतिष में किया जाता है। सामुद्रिक शास्त्र में, शरीर के अंगों की संरचना और तिल का विश्लेषण किया जाता है। यह माना जाता है कि शरीर के अंगों की संरचना किसी व्यक्ति के व्यक्तित्व के बारे में बता सकती है।
सामुद्रिक शास्त्र के अनुसार, शरीर पर मौजूद निशान व्यक्ति के स्वभाव और भविष्य के बारे में बताते हैं। कुछ निशान जन्म से होते हैं, जबकि अन्य बड़े होने के साथ-साथ बनने लगते हैं। सामुद्रिक शास्त्र के अनुसार, हाथ की रेखाओं के अलावा, पैरों की बनावट और उंगलियां भी किसी व्यक्ति के बारे में बहुत कुछ बताती हैं। पैरों की उंगलियों और अंगूठे को देखकर किसी व्यक्ति के भविष्य के बारे में जाना जा सकता है।
सामुद्रिक शास्त्र के अनुसार, शरीर पर मौजूद कुछ तिल व्यक्ति को भाग्यशाली बनाते हैं, जबकि कुछ तिल अशुभ होते हैं। सामुद्रिक शास्त्र में शरीर के अंगों के आकार और तिलों का विश्लेषण करके किसी व्यक्ति के व्यवहार और भविष्य के बारे में बताया जाता है। यह शास्त्र मानता है कि चेहरे पर यह लिखा होता है कि कोई व्यक्ति कैसा है और उसकी सोच कैसी है।
सामुद्रिक शास्त्र ऋषि समुद्र द्वारा लिखा गया था, इसलिए इसे समुद्र शास्त्र भी कहा जाता है। यह शास्त्र वैदिक परंपरा का हिस्सा है। सामुद्रिक शास्त्र के अनुसार, शरीर का प्रत्येक अंग व्यक्ति के स्वभाव, भाग्य और कर्म के बारे में बहुत कुछ जानकारी देता है। सामुद्रिक शास्त्र में यह भी बताया गया है कि शरीर पर मौजूद तिल शुभ और अशुभ परिणाम देते हैं। तिल का रंग भी शुभ और अशुभ परिणामों की जानकारी देता है।
यदि आप इस पुस्तक को पढ़ने में रुचि रखते हैं, तो यहां हम आपको सामुद्रिक शास्त्र पुस्तक पीडीएफ में उपलब्ध करवा रहे हैं। नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करके आप सामुद्रिक शास्त्र पुस्तक पीडीएफ हिंदी में डाउनलोड कर सकते हैं।

सामुद्रिक शास्त्र पुस्तक हिन्दी किताब करें डाउनलोड 

किताब का नाम: सामुद्रिक शास्त्र
टीकाकार का नाम: ज्योतिषाचार्य भृगुराज 
प्रकाशक का नाम: पुस्तक मंदिर, मथुरा

The book Samudrik Shastra is written in Hindi and has 354 pages. It was published in 2019 and has black and white illustrations throughout. The book is 9.5 inches by 7 inches and has a paperback cover.
Samudrik Shastra is a Sanskrit term that translates to "knowledge of body features". The book is about the study of face reading, aura reading, and whole body analysis in the Vedic tradition. The book assumes that every natural or acquired bodily mark encodes its owner's psychology and destiny.
Durlabha-raja began writing Samudrika-tilaka in c. 1160 CE and his son Jagad-deva completed it in c. 1175 CE. Sri Venkateswar Steam Press published the work under the generic title Samudrika-shastra in 1954.
If you are interested to read this book, then here we are providing you Samudrik Shastra Book PDF. You can download Samudrik Shastra Book PDF in Hindi by clicking on the link given below.

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Book Name: Samudra Shastra
Commentator Name: Jyotishacharya Bhriguraj
Publisher Name: Pustak Mandir, Mathura

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